डॉ.सुनीता
सहायक प्रोफ़ेसर,नई दिल्ली
११/११/२०१२
२:४८
धुंधली सी यादें कराह रहीं कानों में
करुणा के सागर बह चले आँखों में
पिछले दरवाजे से खुले कुछ एक पल
ऐसे लगा जैसे बजे पायल की छम
शब्द बोलने लगे भाव खेलने लगे
जब हौले से पलकें खुलीं
घास फूस के बिछावन मिले
बाधी के टूटे-फूटे विस्तर
दूब के तकिये और लाला पानी
ढिबरी की टिम-टिम टहकार
पंक्षियों के मधुर कलरव अपार
मुग्ध मनोहर कोमल पत्तों के झिलमिल हजार
ठूठे से मड़ई सरीखे महलों सा घर
जहां दीमकों का आठों जाम लगे रैनबसेरा
इस भयावह चित्रों में अंधकार के साथी अनेक
चुने तिनके से लगे भीड़ में तब्दील तारें
बरकत के याद में गुजरे एक-एक दिन
हाड़ कंपाते सर्दी को देते मात
मिट्टी के दीपक उजाले बाटें पलछिन
अतीत में बैठे कुछ सुहाने से गीत
इनार के किनारे बैठे बाचें पुरखे-पुरनिए चौपाई
महफ़िल के वो दिन दीखते हैं यादों के जंगल में
रोशनी से नहाये युगों में हम भटक गए
भावना के भोग में भूल बैठे अनमोल कतारें
कतरनों को मोड़-जोड़ करते थे बेंवत
वक्त से पहले हो जाते थे बड़े
सिकुड़ के निहारते चाँद कब हो उजाला
चल देते थे लेके फावड़े,फरहर,फुर्र
त्योहारों के रुनझुन में मगन मन बावरा
कभी-कभी गुनगुना लेते थे मीठे संगीत
सुमन बेचते सपने में नजर आते थे रोज़
राज बन गए हैं वह सुरीले दिन
भूली-बिसरी यादों के दरीचे खुले
अचानक से एक आंचल लहराया
आगोस में समाएं दुआयें दर्पण दिखायें
बल्ब के आगे बठे हैं सब चौंधियाए
आज भी पर्वत के उस सघन छावं में
कुछ चमक रहा दीये सा
किसी अपने के इन्तजार में
लेकिन आवक की खबर नहीं मिली
मीलों फैले मरुस्थल में मन मसोसे है कोई
एक ध्वनि धुन में गुमसुम गोहराती उठी
देखो आ गयी बिजली बेमुराद
मगर दिलों में जमें लाखों गुबार
जग-जग के जाल में जाम उठाये हुए..
(अधूरी)
मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनायें।
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
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आप सबको सपरिवार दीपावली शुभ एवं मंगलमय हो। अंग्रेजी कहावत है -A healthy mind in a healthy body लेकिन मेरा मानना है कि "Only the healthy mind will keep the body healthy ."मेरे विचार की पुष्टि यजुर्वेद क़े अध्याय ३४ क़े (मन्त्र १ से ६) इन छः वैदिक मन्त्रों से भी होती है .
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