शहर के भीड़ से
शोर के चिंघाड से
धुल-धुआँ के अजाब से
एकाकीपन के नाद से
हृदय के अहलाद से
मौसम के फरियाद से
दूर कहीं गांव के
हरियाली के छाँव से
अपना गहरा नाता है
उसके चंचल-शोख आवाज़ ने
हमें पुकारा है
दोस्तों बुरा न मानना
आज माँ-बापू ने
दिल से गोहराया है
मीठी बोली को
ममता की झोली को
नकार न सके
उससे मिलने को
धडकने सुनने को
आज निकल पड़ी हूँ
फिर बात-मुलाकात होगी
एक साल बाद होगी
नए रुतों के साथ होगी
एक मिशन होगा
सबका परमिशन भी होगा
जनता की तान होगी
अंधी व्यवस्था हलकान होगी
युवाओं के कंधे में जान होगी
उर्जा का अपार स्रोत होगा
धन-दौलत की बारिश होगी
मुफलिशी की हार होगी
आम-अवाम खुशहाल होगी
सच्चे दिलों की जीत होगी
झूठों की हार होगी
हौसलों की गूंज होगी
फैसलों की भरमार होगी
किसी से किसी को शिकवा-गीला न होगा
दूरियां मिटेंगी नजदीकियों की बात होगी
ऐसे ही हर दिन और रात होगी
इन्ही दुवाओं के साथ अगले साल
एक नए स्वरूप में आगज़ होगी
रोज सब खेलें-कूदें गायें
ऐसे ही दिनों का राज़ होगा
चलो मैं अब चलती हूँ
वरना देर में अंधेर होगा
मेरी मुश्किलों से मुतभेड होगी
लोगो परेशान होके नादाँ होगें
चीख-चीख के हमें ही कोसेंगे
गुबार के पहाड से सीना छिलेंगे
बस इक पल रुको उसके बाद
फिर कुछ और फ़साने की बात होगी
नोट-
मेरे सभी दोस्तों को आनेवाले साल की हृदय से कोटि-कोटि अग्रिम शुभकामनाये.
आप सब ज्यादा मत सोचिये.मैं ही बता देती हूँ.दरअसल दूर गगन के पास खबूसूरत वादियों के करीब
मेरा गांव-घर है.जहां जा रही हूँ.वहाँ इतने कागजी विकास के बावजूद बिजली रानी ठीक-ठाक काम नहीं करती है.शायद !इसलिए अब नए साल में ही बात सम्भव हो सकेगी....