२८/०३/२०१२
जिस मंच से मित्रता की बात होती थी
उस पर अब एक शिगूफा छाया है
अभी-अभी एक फरमान आया है
जहां पर दोस्तों का मेला था
अब वहाँ पर दुश्मनों का डेरा होगा
एक से बढ़कर एक झमेला होगा
अपनत्व के नाम पर खुली छूट थी
उस पर वैट जैसा वैन लगेगा
तहरीरों के स्थान पर तस्वीरों की बात होगी
समाज को छोड़कर संविधान बनेगा
लिस्ट का अंदाज़ क्या होगा ?
मंथन का अंजाम क्या होगा ?
अचूक प्रश्न सर पर मंडराया है
बहुतों के धड़कनों को धकधकाया है
देश-दुनिया में सुगबुगाहट सुनाई है
जिसने चहुओर शोर मचाई है
अभी से एक होड़ मची है
आगे-आगे एक रणछोड़ छिड़ेगी है
सारे छलिया,ललिया बन घूमेंगे
उनके करतूतों पर कैची नाचेगी
एकता पर उठता नया सवाल है
यह मुद्दा गढता एक बवाल है
शक्ल-सूरत दम पर पकडे जायेंगे
पिंजड़े में नहीं शिकाजें में जकड़े जायेंगे
सूची ऐसी होगी कि रुची रोएगी
बाबु खेलेगा भैया गायेगा
प्रतिभा अपने मन में पछताएगी
पदार्पित अभी एक जुमला है
खुद के करतूतों से एक फकीर
कल तक बन जायेगा अमिट लकीर...!
डॉ.सुनीता
खुद के करतूतों से एक फकीर
ReplyDeleteकल तक बन जायेगा अमिट लकीर...!vicharniy post hae.
वाह वाह!
ReplyDeleteसादर
Bahut Sundar Rachna hai
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत खूब कहा...
वाह!!!!!बहुत सुंदर,क्या बात है,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
एकता पर उठता नया सवाल है
ReplyDeleteयह मुद्दा गढता एक बवाल है
शक्ल-सूरत दम पर पकडे जायेंगे
पिंजड़े में नहीं शिकाजें में जकड़े जायेंगे
वाह! वाह! वाह!
ReplyDelete♥
सारे छलिया,ललिया बन घूमेंगे
उनके करतूतों पर कैची नाचेगी
:)
वाह !
डॉ.सुनीता जी
बहुत ख़ूब !
*दुर्गा अष्टमी* और *राम नवमी*
सहित
~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut sundar !
ReplyDeleteek samayik rachna atisundar...badhaai.
ReplyDeleteव्यंगात्मक अच्छी रचना
ReplyDeleteसुंदर व्यंग्यात्मक भाव..बहुत खूब..!!
ReplyDeleteआज का यही सच है सुनीता जी क्योकि चारो ओर conditions apply है !!!
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