गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंगे -सतीश सक्सेना
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*आदरणीय रमाकान्त सिंह जी का अनुरोध पाकर, उनकी ही प्रथम पंक्तियों से, इस
कविता की रचना हुई , आभार भाई ! *
*गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंग...
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