गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंगे -सतीश सक्सेना
-
*आदरणीय रमाकान्त सिंह जी का अनुरोध पाकर, उनकी ही प्रथम पंक्तियों से, इस
कविता की रचना हुई , आभार भाई ! *
*गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंग...
5 days ago
प्रभावित करता सुंदर आलेख,,,बधाई,सुनीता जी,,,
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
बेहतरीन लेख,बेहतरीन सन्दर्भ
ReplyDeleteप्रभावशाली कलम है आपकी ...
ReplyDeleteबधाई !