आदि कवि के याद में


डॉ.सुनीता 
प्रवक्ता,नई दिल्ली 
29/10/2012 

अनमने से उठे चंद सवाल
आकार लेते आकृति के साथ
हौले से बुदबुदाते कुछ एक भाव
भूले-बिसरे क्यों रहते हैं हम आज

अनंत काल में दस्तक दिया था एक ख्याल 
व्यवस्था के झूठे पैरहन से परे रचे
रुख किये सद्ग्रन्थों के अविरल प्रवाह
प्रवीण बेला में अलबेले अनमोल वचन-वाचन

श्रृंगार के सुर से अलग जन-जंगल में पले
पावन सूचित,सुंदर सृजन आपार महिमा अपरम्पार
गढ़ दिया रूपक ऐसा लगे जीवन के अमृतधार
धारण किये धुन में रमे रहे राजरमण से रार

सिलापट्ट पर अंकित अनेकों अनछुए विचार
ब्याहन वाहन के पंक्षी कलरव करने लगे
धरा पर आया कौन ? बूंद लिए सुधा साथ
सुबरण की चिंता छोड़ स्मरण में लगा अंगुलिमाल

यह दिन आया है साल में कितनी बार
बारम्बार वक्त ने लिखे अबोले शब्दों के आकाश
अक्ष प्रश्न लिए खड़े युगों-युगों से पंथ निहार
अब हो चुका समय आये कोई ले नया अवतार

7 comments:

  1. सुंदर पोस्ट सुनीता जी

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  2. बहुत ही खूबसूरत।

    सादर

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  3. अक्ष प्रश्न लिए खड़े युगों-युगों से पंथ निहार
    अब हो चुका समय आये कोई ले नया अवतार,,,,,

    बहुत बेहतरीन प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST LINK...: खता,,,

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  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार ३० /१०/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |

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  5. बहुत सुंदर कविता

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  6. शब्द खोते जा रहे हैं क्या लिखूं...
    बस सादर...!

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